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राजसिक आदमी का दुख || आचार्य प्रशांत, उद्धव गीता पर (2018)

2019-11-29 2 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />१४ मई, २०१८<br />नैनीताल<br /><br />उद्भव गीता से ,<br /><br />“अविवेकी जीव के मन में, ‘मैं’ और ‘मेरे’ का विचार उठता है, फिर रजस मन पर छा जाती है, उस मन पर जो वास्तव में, मौलिक रूप से सात्विक है।" (अध्याय १८, श्लोक ९)<br /><br />प्रसंग:<br />रज का क्या अर्थ होता है?<br />अविवेकी आदमी "मै" का भाव क्यों रखता है?<br />राजसिक आदमी कौन है?<br />क्या पूरी दुनिया रज है?<br />तमस का क्या अर्थ होता है?<br />तमस से मुक्ति कैसे?<br />सात्विक का मतलब क्या है?<br />सात्विक कैसे पाये?<br />रजस का मतलब क्या होता है?<br />तमस मन से सात्विक की ओर कैसे जाया जा सकता है?<br />क्या गुरु ही तीनो गुणों से आजादी दिला सकता है<br />प्रकृति में कितने गुण होते है?<br />त्याग के तीन प्रकार क्या होते हैं?

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